Tuesday, September 17, 2019

फ़ेक न्यूज़ का शिकार हुए ओवैसी?

इतिहासकार मानते हैं कि हिन्दुस्तान की आज़ादी के संग्राम में सभी धर्मों के लोगों ने हिस्सा लिया था और मुस्लिम समुदाय के कई ऐसे लोग हुए जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में अपनी जान दी.
लेकिन आज़ादी की लड़ाई और इंडिया गेट से संबंधित ओवैसी के इस दावे को हमने ग़लत पाया.
हमने पाया कि इंडिया गेट पर 90 हज़ार से ज़्यादा सैनिकों के नाम होने और उनमें 65 फ़ीसदी मुसलमानों का नाम होने की अफ़वाह काफ़ी समय से सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है.
साल 2017 और 2018 के कुछ पोस्ट हमें मिले जिनमें यही बातें लिखी हैं.
तो क्या असदउद्दीन ओवैसी सोशल मीडिया पर फैली फ़ेक न्यूज़ का शिकार बने? या वजह कुछ और थी? इस बारे में हमने उन्हीं से बात की.
ओवैसी ने कहा, "मैंने अपने भाषण में यह बात कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की नई किताब 'विज़िबल मुस्लिम, इनविज़िबल सिटीज़न' से पढ़कर कही थी. लेकिन तथ्यों को लेकर मुझे थोड़ा अधिक सतर्क रहना चाहिए था."
अपनी पड़ताल में हमने पाया कि कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी नई किताब के 55-56वें पन्ने पर यही दावा किया है.
उन्होंने लिखा है कि 95 हज़ार से ज़्यादा फ़्रीडम फ़ाइटर्स के नाम इंडिया गेट पर लिखे हुए हैं, जिनमें 61 हज़ार से ज़्यादा मुस्लिम नाम हैं, यानी क़रीब 65 फ़ीसदी.
लेकिन सरकारी डेटा और कॉमनवेल्थ कमीशन की लिस्ट के अनुसार ये दावा सही नहीं है.
सोशल मीडिया पर जली हुई हालत में अपनी तहरीर देते एक मुस्लिम युवक का वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि 'जय श्री राम का नारा नहीं लगाने पर एक उन्मादी गुंडों ने इस लड़के पर तेल छिड़ककर आग लगा दी'.
ये घटना वाराणसी से पूर्व में स्थित चंदौली ज़िले के सैयद राजा कस्बे की है. क़रीब 19 हज़ार की आबादी वाले इस कस्बे में 45 प्रतिशत मुसलमान हैं और बाकी हिंदू परिवार हैं.
ख़ालिक़ अंसारी के साथ हुई इस दुर्घटना के बाद इलाक़े में एक अलग सा तनाव और सुगबुगाहट तो है, लेकिन कस्बे के बड़े लोग यहाँ के इतिहास का हवाला देकर कहते हैं कि सैयद राजा में कभी मुसलमानों और हिंदुओं के बीच टकराव नहीं हुआ.
इसी कस्बे के एक छोर पर स्थित सरकारी स्कूल के दाहिने कोने पर अब्दुल ख़ालिक़ का घर है.
इस वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा युवक 16 वर्षीय अब्दुल ख़ालिक़ अंसारी है, जिसकी गंभीर रूप से जलने के कारण वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के ट्रॉमा सेंटर में मंगलवार को मौत हो गई.
ख़ालिक़ के पिता ज़ुल्फ़िकार अंसारी के वीडियो भी सोशल मीडिया पर लाखों बार देखे जा चुके हैं जिनमें सुनील यादव समेत तीन अज्ञात लोगों को वो अपने बेटे की मौत का ज़िम्मेदार बताते हैं और दावा करते हैं कि उन्होंने ही उनके बेटे के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती की, उससे अल्लाह को गाली देने को कहा, जय श्री राम के नारे लगाने को कहा और फिर उसे आग के हवाले कर दिया.
लेकिन बीबीसी ने जब यूपी के चंदौली ज़िले में हुई ख़ालिक़ अंसारी की कथित मॉब लिंचिंग से जुड़े तथ्यों और दावों पर नज़र दौड़ाई तो ऐसा कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं मिला जिसके आधार पर ये कहा जा सके कि ख़ालिक़ को जय श्री राम नहीं बोलने पर चार लोगों द्वारा ज़िंदा जलाया गया.
अब्दुल ख़ालिक़ के वायरल वीडियो और उनके पिता के बयान के आधार पर मीडिया में इसे 'मॉब लिंचिंग' का मामला बताया गया है और इन ख़बरों को सोशल मीडिया पर कई नामी लोगों ने शेयर किया है.
ये बात सही है कि बीते कुछ महीने में देश के अलग-अलग राज्यों में 'मॉब लिंचिंग' के कई मामले दर्ज किए गए हैं. जून 2019 में झारखंड के तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग का मामला काफ़ी समय तक सुर्ख़ियों में रहा था.

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